Uttarakhand

शिक्षकों का धरना बना राजनीति का अखाड़ा,पूर्व सीएम और पूर्व शिक्षा मंत्री पहुंचे धरना स्थल,सीएम के कॉर्डिनेटर ने भी शिक्षकों के बीच पहुंचकर की अपील


देहरादून। प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती के विरोध में राजकीय शिक्षक संगठन के द्वारा जहां आमरण किया जा रहा है,वही अनशन स्थल पर मुख्यमंत्री के निर्देशके क्रम में उनके कॉर्डिनेटर दलवीर दानु उपस्थित हुए,और अनशन ख़त्म करने की अपील की, निदेशक विद्यालय शिक्षा लीलाधर व्यास द्वारा सचिव शिक्षा व महानिदेशक शिक्षा के आदेश के क्रम में पत्र दिया गया, जिसमें आमरण अनशन ख़त्म करने व संघ द्वारा उठाई गई माँगो के निवारण हेतु शिक्षक संघ से वार्ता हेतु कहा गया। संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान द्वारा कहा गया कि ज़िला कार्यकारिणीयों द्वारा उक्त पत्र के क्रम में आज बैठक की जायेगी उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

पूर्व सीएम,पूर्व शिक्षा मंत्री और पूर्व विधायक में पहुंचे शिक्षकों के बीच

वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी के साथ पूर्व विधायक ओम गोपाल और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी आज शिक्षकों की धरना स्थल पर पहुंचे और शिक्षकों की मांग को समर्थन करते हुए सरकार से प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती निरस्त करने की मांग की। आपको बता दें कि राजकीय शिक्षक संगठन शत प्रतिशत पदों पर प्रमोशन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है,तो वहीं सरकार के द्वारा प्रधानाचार्य की 50% पदों पर सीधी भर्ती और 50% पदों पर प्रमोशन से भरने का निर्णय लिया गया है,ताकि स्कूलों में प्रधानाचार्य के जो पद खाली है उन्हें आसानी से भरा जाता, जिसको लेकर शिक्षक संगठन में आक्रोश है तो वहीं कुछ शिक्षक खुलकर सरकार के फैसले का समर्थन भी अब करते हुए नजर आ रहे हैं, देहरादून में एक बैठक आज कई शिक्षकों की हुई जिसमें उन्होंने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए छात्रहित में बताया है,ऐसेमें सवाल यह उठता है कि आखिर राजकीय शिक्षक संगठन के साथ जो शिक्षक खड़े हैं वह प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती का विरोध कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो अब भर्ती के समर्थन में खुलकर आगे आगे है। सरकार के सामने जहां चुनौती प्रधानाचार्य के पदों को भरने की है, तो वहीं शिक्षकों के आंदोलन से निपटने की भी है, तो दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को जो नुकसान प्रधानाचार्य के पदों की खाली रहने और शिक्षकों के आंदोलन से हो रहा है, उसकी भरपाई की जिम्मेदारी कौन लेगा, कैसे लगा और, कैसे भविष्य में सभी स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद भरे जाएंगे । शायद इस फार्मूले पर कोई विचार भी नहीं कर रहा है। सरकार जहां शिक्षकों के दबाव में है तो वहीं कुछ शिक्षक सरकार को समर्थन देकर सरकार का मनोबल बढ़ाने का काम तो कर रहे हैं,लेकिन उनकी संख्या बेहद कम है। जहां तक नेताओं की बात है जो नेता इसमें भी राजनीति देखते हुए नजर आ रहे हैं,किसी भी विधायक पूर्व मुख्यमंत्री या पूर्व शिक्षा मंत्री के द्वारा छात्रों की पढ़ाई को लेकर एक भी शब्द अभी तक बयान नहीं किया गया है, कि जो उनको नुकसान हो रहा है। खैर अब देखना ही होगा कि आखिरकार सरकार शिक्षकों के दबाव में आते हुए भर्ती प्रक्रिया को क्या वास्तव में पूरी तरीके से निरस्त करते हुए भविष्य में सीधी भर्ती नहीं करने का ऐलान करती है, या फिर जो नया फार्मूला प्रधानाचार्य की सीधी को लेकर शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के द्वारा सुझाया गया है उसे अमल में लाया जाता है।



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